New Delhi, 11 नवंबर . ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आधुनिक युद्ध का एक प्रेरक उदाहरण है. इसमें प्रिसिशन स्ट्राइक कैपेबिलिटी, नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन्स, डिजिटाइज्ड इंटेलिजेंस और मल्टी-डोमेन टैक्टिक्स को सीमित समयावधि में प्रभावी रूप से तैनात किया गया. New Delhi में Tuesday को आयोजित दिल्ली डिफेंस डायलॉग में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने यह बात कही.
सीडीएस ने संबोधन में कहा कि युद्ध की प्रकृति तेजी से बदल रही है. सैन्य नेतृत्व को इन बदलते यथार्थों के अनुरूप शीघ्रता से खुद को ढालना होगा.
उन्होंने कहा, “आज के समय में तकनीकी श्रेष्ठता ही युद्ध क्षेत्र में सफलता का निर्णायक कारक बन गई है.” जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध का मूल उद्देश्य विजय प्राप्त करना ही है, और जो राष्ट्र या सेनाएं तकनीक में अग्रणी होंगी, वही अंततः विजयी होंगी. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उभरती प्रौद्योगिकियां, विकसित होती सैन्य अवधारणाएं, और बदलते भू-Political समीकरण आधुनिक युद्ध को नई दिशा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नवाचार, रणनीतिक साझेदारी और सशस्त्र बलों के संगठनात्मक रूपांतरण के माध्यम से आधुनिक युद्ध की परिभाषा निरंतर परिवर्तित हो रही है.
यह दो दिवसीय संवाद मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (एमपी-आईडीएसए) द्वारा आयोजित किया गया. यहां रक्षा क्षमता विकास के लिए नए युग की तकनीकों का दोहन पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया.
यहां एमपी-आईडीएसए के महानिदेशक एंबेसडर सुजान चिनॉय ने इस अवसर को अत्यंत विशेष बताया, क्योंकि यह संस्थान के 60वें स्थापना दिवस के साथ ही आया है. उन्होंने कहा कि तकनीक ने रक्षा क्षमताओं के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया है और दुनियाभर की सेनाएं औद्योगिक युग से सूचना एवं साइबर युग की ओर बढ़ रही हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और क्वांटम फिजिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां अब युद्ध और सुरक्षा के प्रमुख निर्धारक तत्व बन गई हैं. चिनॉय ने विदेशी तकनीक अधिग्रहण और स्वदेशी रक्षा निर्माण के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और आत्मनिर्भर India नीति के अंतर्गत आत्मनिर्भर दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान किया.
इस संवाद में नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने इस बात पर अपने विचार साझा किए कि कैसे नई पीढ़ी की तकनीकों का प्रभावी उपयोग India की रक्षा क्षमताओं को और अधिक सशक्त बना सकता है. इस दौरान हुई चर्चाओं से डेटा-आधारित रक्षा प्रणालियों के विकास और सुरक्षा क्षेत्र में भविष्य की तकनीकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद जताई गई है.
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जीसीबी/डीकेपी
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