अगली ख़बर
Newszop

I Love Muhammad Vs I Love Mahadev! यूपी में शुरू हुआ पोस्टर वॉर, जुलूस से शुरू हुए विवाद में अब संत भी कूदे

Send Push

I Love Muhammad Controvercy: देश भर में पिछले कुछ दिनों से आई लव मोहम्मद को लेकर काफी विवाद देखने को मिल रहा है. यूपी से उत्तराखंड में नारे लगाए जा रहे हैं. सड़कों पर लोग पोस्टर लेकर मार्च निकालने लगे हैं. अब कानपुर में भी हंगामा हो रहा है. अब हिंदू भी इसका करारा जवाब दे रहे हैं. दरअसल वाराणसी में आई लव महादेव के पोस्टर लगाए गए.

जानकारी के अनुसार, मंदिर, मठों और सार्वजनिक स्थलों पर ‘I Love Mahadev’ के पोस्टर लगाए गए हैं. कुछ संतों ने इस पोस्टर को लगाकर ‘I Love Muhammad’ के विवाद का जवाब दिया है. यह कदम जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद की अगुवाई में उठाया गया.

यूपी में पोस्टर वॉर
उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम पोस्टर वॉर शुरू हो गया है. संतों का कहना है कि इस तरह के पोस्टर धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिशें हैं और वे सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए कट्टरपंथियों को जवाब देंगे. 4 सितंबर को कानपुर में आई लव मोहम्मद का पोस्टर लगाया था. इसके बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे आपत्ति जनक माना और विवाद बढ़ गया.

इसके बाद वाराणसी में संतों ने ‘I Love Mahadev’ के पोस्टर लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया. इस कदम से धार्मिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है. दूसरे पक्ष ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और जुलूस पर आपत्ति जताई है.

पोस्टर पर राजनीतिक विवाद
कानपुर में पोस्टर लगाने की घटना सामने आने के बाद कई जगहों पर ऐसा हुआ है. इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी देखने को मिल रही है. राजनीतिक बयानबाजी और धार्मिक संगठनों की सक्रियता ने इस मुद्दे को और बढ़ा दिया. यह विवाद यूपी के अन्य शहरों जैसे उन्नाव, बरेली, काशीपुर, लखनऊ, और महाराजगंज में फैल गया.

इसके बाद यह मुद्दा उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तेलंगाना तक पहुंच गया, जहां विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन हुए. कुछ स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई.

ओवैसी का बयान
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ‘I Love Muhammad’ पोस्टर विवाद पर बयान दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, मुहम्मद से मोहब्बत कहना कोई जुर्म नहीं है और इसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा बताया.

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें