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'ये बोझ लेकर नहीं चलना चाहिए कि बेटे को दोष दिया जा रहा है'- एयर इंडिया पायलट के पिता से सुप्रीम कोर्ट

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Getty Images एयर इंडिया का विमान इस साल जून में क्रैश हो गया जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी

विमान दुर्घटना के पांच महीनों के बाद यह जांच विवादों में घिर गई है और देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपनी राय रखी है. इस दुर्घटना में 260 लोगों ने जान गंवाई थी.

इसी साल 12 जून को फ़्लाइट 171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी. उड़ान भरने के सिर्फ 32 सेकंड बाद ही विमान एक इमारत से टकरा गया.

जुलाई में एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की गई, लेकिन आलोचना करने वालों का कहना है कि इस रिपोर्ट ने अनुचित रूप से पायलटों पर ध्यान केंद्रित किया और विमान में संभावित ख़राबी से ध्यान भटका दिया.

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने कहा कि विमान के कप्तान को दोष नहीं दिया जा सकता.

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जज की यह टिप्पणी, एयरलाइन के प्रमुख के उस दावे के एक हफ़्ते बाद आई, जिसमें उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि विमान में कोई ख़राबी नहीं थी.

बीते अक्तूबर के अंत में नई दिल्ली में एविएशन इंडिया 2025 समिट के दौरान एक पैनल डिस्कशन में एयर इंडिया के चीफ़ एग्ज़ीक्युटिव कैंपबेल विल्सन ने स्वीकार किया कि दुर्घटना 'इसमें शामिल लोगों, उनके परिवारों और कर्मचारियों के लिए पूरी तरह विनाशकारी' थी.

लेकिन उन्होंने ये ज़ोर देकर कहा कि भारतीय अधिकारियों की ओर से की गई शुरुआती जांच, जिसे प्राथमिक रिपोर्ट में जगह दी गई, 'उसने संकेत दिया था कि विमान, इंजन या एयरलाइन के ऑपरेशन में कोई ख़राबी नहीं थी.'

हालांकि उन्होंने जोड़ा कि एयर इंडिया जांचकर्ताओं के साथ काम कर रही थी लेकिन वो उसमें सीधे तौर पर नहीं जुड़ी थी.

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अंतरिम रिपोर्ट पर क्यों हुआ विवाद? image BBC

क्योंकि यह दुर्घटना भारत में हुई थी, जांच को देश के एयर एक्सिडेंट इनवेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की ओर से किया जा रहा है. हालांकि, चूंकि विमान और इसके इंजन को अमेरिका में डिज़ाइन और निर्मित किया गया था, इसलिए अमेरिकी अधिकारी भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं.

दुर्घटना के एक महीने बाद ही एएआईबी ने प्राथमिक रिपोर्ट जारी की थी. बड़ी दुर्घटनाओं की जांच में यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है और इसका मतलब होता है कि प्रकाशन के समय तक प्राप्त जानकारियों का सारांश मुहैया कराया जाए.

रिपोर्ट आम तौर पर हादसे की जगह की जांच से मिली जानकारी और फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर से निकाले गए बुनियादी आंकड़ों पर आधारित होती है. आमतौर पर इसमें दुर्घटना के कारणों पर ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जाता.

हालांकि एयर इंडिया 171 के बारे में 15 पेज की यह रिपोर्ट विवादों में घिर गई. ऐसा दो छोटे पैराग्राफ़ के कंटेंट की वजह से हुआ.

पहले तो, इसमें लिखा गया है कि टेकऑफ़ के कुछ सेकेंड बाद ही, फ़्यूल कटऑफ़ स्विच, 'रन' की बजाय कटऑफ़ स्थिति में कर दिए गए थे. ये स्विच आम तौर पर किसी उड़ान से पहले इंजन को चालू करने और उड़ान के बाद बंद करने के लिए इस्तेमाल किया जाते हैं.

इसकी वजह से इंजन को ईंधन नहीं मिला और इससे विमान थ्रस्ट यानी ऊंचाई चढ़ने की क्षमता खो बैठा.

हालांकि इन स्विचों को फिर से इंजन को चालू करने की स्थिति में किए गए लेकिन दुर्घटना से बचने के लिए तब तक देर हो चुकी थी.

इसके बाद रिपोर्ट कहती है, "कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से ये पूछते सुना गया कि उसने क्यों इसे कटऑफ़ किया था. दूसरा पायलट ये कहते सुना गया कि उसने ऐसा नहीं किया था."

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पायलटों को दोष देना कितना सही? image BBC

अप्रत्यक्ष रूप से दर्ज इस बातचीत ने दोनों पायलटों की भूमिका को लेकर तीव्र अटकलें शुरू कर दीं, कैप्टन सुमीत सभरवाल और उनके सह-पायलट क्लाइव कुंदर उस समय विमान उड़ा रहे थे.

नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ़्टी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रॉबर्ट समवाल्ट ने दावा किया कि रिपोर्ट से साफ़ होता है कि "यह विमान या इंजन से जुड़ी समस्या नहीं थी."

उन्होंने अमेरिकी नेटवर्क सीबीएस से बातचीत में कहा, "क्या किसी ने जानबूझकर फ़्यूल बंद किया था या ग़लती से किसी तरह फ़्यूल कटऑफ हो गया?"

देश के एक निजी टेलीविज़न चैनल एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में भारतीय एविएशन सेफ़्टी कंसल्टेंट कैप्टन मोहन रंगनाथन ने ज़ोर देकर कहा कि इस दुर्घटना के पीछे पायलट सुसाइड का मामला हो सकता है.

उन्होंने कहा, "मैं उस शब्द को इस्तेमाल नहीं करना चाहता. मैंने सुना है कि पायलट की कुछ मेडिकल हिस्ट्री थी और ऐसा भी हो सकता है."

पीड़ित परिवारों की ओर से वकील माइक एंड्रयूज़ का कहना है कि जिस तरह से जानकारी सार्वजनिक की गई है उसने "लोगों को बिना पूरी जानकारी के अनुचित रूप से पायलटों को दोषी ठहराने के लिए प्रेरित किया है."

उन्होंने कहा, "ऐसे विमान, जो इतने जटिल होते हैं, उनमें कई चीज़ें ग़लत हो सकती हैं. संदर्भ से हटकर सिर्फ़ दो छोटी जानकारियों को पकड़कर पायलटों पर आत्महत्या या सामूहिक हत्या का आरोप लगा देना अनुचित और ग़लत है."

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विमानन क्षेत्र में सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाले भारत के सेफ़्टी मैटर्स फ़ाउंडेशन के संस्थापक कैप्टन अमित सिंह ने भी इसी राय को दोहराया.

उन्होंने एक रिपोर्ट पेश की जिसका दावा है कि उपलब्ध सबूत 'इंजन बंद होने में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी की थ्योरी का मज़बूती से समर्थन करते हैं,' जिससे यह हादसा हुआ.

उनका मानना है कि एक इलेक्ट्रिकल फॉल्ट की वजह से इंजन को नियंत्रित करने वाली कंप्यूटर प्रणाली फ़ुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (एफ़एडीईसी) ने फ़्यूल सप्लाई काटकर इंजन बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी होगी.

वहीं उनका कहना है कि फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर ने शायद फ़्यूल सप्लाई बंद करने के आदेश को दर्ज किया होगा, न कि कॉकपिट में कटऑफ स्विच के किसी वास्तविक मूवमेंट को.

दूसरे शब्दों में, स्विच को संभवतः तब तक छुआ ही नहीं गया था, जब तक पायलटों ने इंजन को दोबारा चालू करने की कोशिश नहीं की.

कैप्टन सिंह ने जांच की प्रक्रिया पर भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी सवाल उठाए हैं.

उन्होंने बीबीसी से कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट की रूपरेखा पक्षपातपूर्ण थी, क्योंकि "वह पायलट की ग़लती की ओर इशारा करती दिखती है, जबकि उड़ान के दौरान हुई सभी तकनीकी गड़बड़ियों की जानकारी नहीं दी गई."

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट खुद भी इस मामले पर टिप्पणी कर चुका है.

कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल की ओर से दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. 91 साल के पुष्करराज इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं.

जस्टिस सूर्यकांत ने उनसे कहा, "यह दुर्घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको ये बोझ नहीं लेकर चलना चाहिए कि आपके बेटे को दोष दिया जा रहा है. कोई भी, किसी भी चीज़ के लिए उसे दोषी नहीं ठहरा सकता."

अगली सुनवाई 10 नवंबर को होनी है.

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'पूरी तरह ग़लत' image Reuters इस दुर्घटना में विमान एक हॉस्टल की इमारत से टकराया था

हालांकि दुर्घटना में इलेक्ट्रिकल फ़ॉल्ट की बात का समर्थन अमेरिका के फ़ाउंडेशन फ़ॉर एविएशन सेफ़्टी (एफ़एएस) ने भी किया है.

इसके संस्थापक एड पीयर्सन हैं, जो बोइंग के पूर्व सीनियर मैनेजर हैं और इस कंपनी के सेफ़्टी मानकों के वो पहले मुखर आलोचक रहे हैं.

वह प्राथमिक रपोर्ट को "बहुत अपर्याप्त... शर्मनाक रूप से अपर्याप्त" बताते हैं.

उनकी संस्था ने 787 विमानों की इलेक्ट्रिकल दिक्कतों की रिपोर्टों को खंगालने में काफ़ी समय बिताया है.

इन रिपोर्टों में वायरिंग वाली जगहों में पानी की लीकेज भी शामिल है जिसे इससे पहले अमेरिकी रेगुलेटर फ़ेडरल एविएशन अथॉरिटी की ओर से ध्यान में लाया जा चुका है. कुछ अन्य विशेषज्ञों ने भी चिंताएं ज़ाहिर की हैं.

उन्होंने कहा, "उस विमान में ढेरों ऐसी बातें थी जिसे हम इलेक्ट्रिकल गड़बड़ियां मानते हैं कि उनका सामने आना और संभावित प्रणालीगत विफलताओं की गहन जांच किए बिना ही पायलटों पर दोष मढ़ना हमें पूरी तरह से ग़लत लगता है."

उनका मानना है कि जानबूझकर ध्यान विमान से हटाकर पायलटों की ओर मोड़ने की कोशिश की गई.

सेफ़्टी मैटर्स फाउंडेशन (एफ़एएस) ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय विमान दुर्घटना जांच प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार की मांग की है.

उन्होंने कहा, "पुराने प्रोटोकॉल, हितों के टकराव और प्रणालीगत ख़ामियां सार्वजनिक भरोसे को नुक़सान पहुंचाती हैं और सुरक्षा सुधारों में देरी करती हैं."

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अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन में पूर्व इंस्पेक्टर जनरल और एक वकील मैरी स्चियावो इस बात से असहमत हैं कि पायलटों को जानबूझकर जांच के केंद्र में लाया गया है.

उनका मानना है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां थीं, लेकिन इसकी वजह यह थी कि जांचकर्ता भारी दबाव में थे और पूरी दुनिया का ध्यान उन पर था.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि वे बस जल्दी में थे, क्योंकि यह भयानक हादसा था और पूरी दुनिया देख रही थी. वे जल्द से जल्द कुछ जारी करना चाहते थे."

उनके अनुसार, "फिर पूरी दुनिया ने निष्कर्ष पर छलांग लगा दी और तुरंत कहने लगी, 'यह पायलट की आत्महत्या थी, यह जानबूझकर किया गया था'."

मैरी स्चियावो ने आगे कहा, "अगर उन्हें यह दोबारा करना होता, तो वे शायद कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग के वे छोटे अंश शामिल नहीं करते."

उनकी अपनी राय है कि "कंप्यूटर या मैकेनिकल फ़ेल्योर ही सबसे संभावित स्थिति है."

अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों के मुताबिक, किसी हादसे की अंतिम रिपोर्ट 12 महीने के भीतर जारी की जानी चाहिए, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. जब तक वह रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होती, हादसे के असली कारण अज्ञात रहेंगे.

एक पूर्व विमान दुर्घटना जांचकर्ता ने बीबीसी से बातचीत में इस प्रक्रिया के पूरा होने तक "खुले दिमाग से सोचने" की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

बोइंग ने हमेशा कहा है कि 787 एक सुरक्षित विमान है और इसका सुरक्षा रिकॉर्ड मज़बूत है.

कंपनी ने बीबीसी से कहा कि वह इस जांच से जुड़ी जानकारी देने के लिए भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो पर निर्भर रहेगी.

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