राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की चर्चा भानगढ़ किले का ज़िक्र किए बिना संभव नहीं है। भानगढ़ किला न केवल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि देश के सबसे डरावने और रहस्यमयी स्थानों में भी गिना जाता है। जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर अलवर ज़िले की अरावली पहाड़ियों में स्थित यह किला अपनी भूतिया कहानियों और किंवदंतियों के लिए जाना जाता है। भानगढ़ की सबसे लोकप्रिय कहानी राजकुमारी रत्नावती और एक तांत्रिक के इर्द-गिर्द घूमती है। रत्नावती अपनी सुंदरता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध थीं। कहा जाता है कि उनकी एक झलक पाने के लिए कई राजघरानों से विवाह के प्रस्ताव आते थे।
तांत्रिक राजकुमारी पर मोहित हो गया
एक दिन राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाज़ार पहुँची, जहाँ वह एक इत्र की दुकान पर रुकी। उसी बाज़ार में सिंधु सेवड़ा नाम का एक तांत्रिक, जो काला जादू में माहिर था, दूर से राजकुमारी को देख रहा था। उसने राजकुमारी को देखा और उस पर मोहित हो गया। रत्नावती को वश में करने के लिए तांत्रिक ने इत्र की शीशी पर वशीकरण मंत्र डाला।
राजकुमारी तांत्रिक के इरादे समझ गई थी
लेकिन रत्नावती को उसके इरादे समझने में देर नहीं लगी। उसने चतुराई से इत्र की शीशी एक पत्थर पर फेंक दी। कहा जाता है कि जादू का असर ऐसा हुआ कि पत्थर तांत्रिक के पीछे-पीछे चला आया और उसे कुचलकर मार डाला।
तांत्रिक ने श्राप दिया था
कहते हैं कि मरते समय तांत्रिक ने पूरे किले और उसके निवासियों को श्राप दिया था कि इस जगह का विनाश निश्चित है और यहाँ रहने वाली आत्माओं को कभी शांति नहीं मिलेगी। इस श्राप ने भानगढ़ को एक रहस्यमय और भयावह जगह बना दिया था।
एएसआई ने सुरक्षा के लिए एक बोर्ड लगाया है
आज भी स्थानीय लोगों का मानना है कि उस तांत्रिक का श्राप इस किले पर बना हुआ है। सूर्यास्त के बाद यहाँ किसी को भी रुकने की अनुमति नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यहाँ एक बोर्ड लगाकर स्पष्ट कर दिया है कि सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश वर्जित है। हालाँकि, एएसआई ने लोगों की सुरक्षा के लिए यह बोर्ड लगाया है।
किले की संरचना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भानगढ़ किले का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 में करवाया था। इसकी वास्तुकला राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण है। हालाँकि आज यह खंडहर बन चुका है, फिर भी इसकी भव्यता आज भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
एएसआई की खुदाई से किले के इतिहास का पता चलता है
एएसआई की खुदाई में मिले अवशेषों से पता चलता है कि यह क्षेत्र कभी एक समृद्ध ऐतिहासिक नगर रहा होगा। लेकिन किले से जुड़ी आत्माओं और रहस्यों के कारण आज यह एक वीरान खंडहर बन गया है। भानगढ़ का रहस्य देश भर के साहसिक पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। दिन में यहाँ पर्यटकों की आवाजाही रहती है, लेकिन शाम होते ही यह जगह वीरान हो जाती है। लोगों का कहना है कि रात में किले के अंदर से अजीबोगरीब आवाजें आती हैं और कभी-कभी किसी की परछाई भी दिखाई देती है।
पर्यटक करते हैं तरह-तरह के दावे
कुछ पर्यटकों ने दावा किया है कि किले में कदम रखते ही ठंड बढ़ जाती है और डर लगने लगता है, जबकि कुछ को तो ऐसा भी लगा जैसे कोई उनका पीछा कर रहा है। हालाँकि, ये सभी बातें वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हैं।
साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले लोग भानगढ़ आते हैं
भानगढ़ किला सिर्फ़ एक प्राचीन इमारत ही नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जहाँ भारत का इतिहास भी सुरक्षित है। आजकल भूतिया और साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले लोग इस किले में आना पसंद करते हैं, हालाँकि रात में यहाँ जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
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